तालिबान के लिए अफगानिस्तान का अजेय दुर्ग माने जाने वाला पंजशीर प्रांत अब मुश्किलों में नजर आ रहा है. तालिबानी लड़ाकों ने पंजशीर प्रांत में भी दस्तक दे दी है. 100 से ज्यादा तालिबानी घाटी की ओर आगे बढ़ रहे हैं. पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के 32 वर्षीय बेटे अहमद शाह ने कहा है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले इलाकों को तालिबान को नहीं सौंपेंगे. अफगानिस्तान में कुल 34 प्रांत हैं,अबपंजशीरपरकब्जेकीजंगतालिबानसेसरेंडरकीधमकीकेबीचबोलेमसूदमिलेगाजवाब जिनमें से 33 पर तालिबान का कब्जा है.रविवार को अल-अरबिया टीवी चैनल को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वे युद्ध नहीं करेंगे लेकिन किसी भी तरह के आक्रमण का विरोध करेंगे. अहमद मसूद ने कहा है कि अगर तालिबान के साथ वार्ता असफल होती है तो युद्ध को नहीं टाला जा सकता है. तालिबान की भागीदारी के साथ देश पर शासन करने के लिए एक व्यापक सरकार की जरूरत है. अगर तालिबान ने बातचीत से इनकार किया तो युद्ध अपरिहार्य होगा.अहमद मसूद ने कहा कि तालिबान का विरोध करने वाले सरकारी बल अलग-अलग इलाकों से रैली करपंजशीर घाटी में जमा हो गए. उन्होंने पश्चिमी देशों से भी तालिबान संकट पर समर्थन मांगा है. वहीं ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा है कि वे मंगलवार को जी-7 के साथ अफगान संकट पर बैठक करेंगे. दुनियाभर के लोग अफगान संकट पर अपनी चिंताएं जाहिर कर रहे हैं.अहमद मसूद ने कहा कि वे पंजशीर घाटी में हैं. पंजशीर घाटी के लोग बहुत एकजुट हैं और वे अपने जमीन का बचाव करना चाहते हैं. तालिबानी ताकतों से वे लड़ना चाहते हैं और वे किसी भी अधिनायकवादी शासन के खिलाफ, किसी भी विश्वास के खिलाफ विरोध करना चाहते हैं.अहमद मसूद ने कहा है कि पंजशीर अफगानिस्तान के भूगोल का सबसे छोटा प्रांत है लेकिन, अभी हम जहां खड़े हैं वह है पूरे देश के लिए है, संप्रभुता के लिए है, शांति के लिए है, लोगों के लिए है. समावेशी,सहिष्णुता, स्वीकृति और संयम के लिए लोग पंजशीर में एकजुट हैं.अहमद मसूद ने कहा कि हम पंजशीर में अपने सभी मूल्यों के लिए एकजुट हैं. यह हमारे ध्वज और बैनर की लड़ाई है. यहां हम जिस चीज के लिए खड़े हैं, वह सिर्फ पंजशीर हीनहीं है, बल्कि पूरा अफगानिस्तान है, जिन्हें अपने देश से मोहब्बत है.पंजशीर में तालिबान की जंग इतनी आसान नहीं है. पंजशीर घाटी में 10 हजार से ज्यादा फौजी तालिबान से लड़ने को तैयार हैं. पंजशीर में तालिबान के खिलाफ अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और अफगानिस्तान के वॉर लॉर्ड कहे जाने वाले जनरल अब्दुल रशीद दोस्तम की फौजें शामिल हैं. वहीं अशरफ गनी सरकार में रक्षामंत्री अब जनरल बिस्मिल्लाह मोहम्मदी ने भी ऐलान किया है कि वे पंजशीर के साथ रहेंगे. ऐसे में तालिबान की एंट्री पंजशीर घाटी में आसान नहीं है.अहमद मसूद पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे हैं. अहमद शाह मसूद जीवनभर तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे. 2001 में 9/11 से ठीक पहले अलकायदा और तालिबान ने साजिश रचकर मार दिया गया था. जब अहमद शाह मसूद की हत्या हुई तो अहमद मसूद महज 12 वर्ष के थे. अहमद मसूद के भी तेवर अपने पिता की तरह ही हैं. उन्होंने अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के साथ मिलकर पंजशीर पर तालिबान का कब्जा नहीं होने दिया है. तालिबान विरोधी मोर्चा यहीं से चलाया जा रहा है.अहमद मसूद का जन्म जुलाई 1989 को हुआ है. बचपन से ही उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक देखा है. ईरान से पढ़ाई पूरी करने के बाद अहमद मसूद ने ब्रिटिश आर्मी मिलिट्री एकेडमी, सैंडहर्स्ट से मिलिट्री का कोर्स भी किया था. उन्होंने 2015 में वॉर स्टडीज में लंदन के किंग कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. इसके बाद 2016 में सिटी, लंदन विश्वविद्यालय से इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की थी.ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने ग्रुप-7 देशों की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें अफगानिस्तान संकट पर बातचीत की जाएगी. अफगानिस्तान तालिबान के शासनकाल में गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है. ऐसे में उन्होंने जी-7 देशों की अर्जेंट बैठक मंगलवार को बुलाई है.तालिबान के सत्ता पर काबिज होते ही लोग डरकर देश छोड़ना चाहते हैं. अफगान नागरिक भी तालिबान के शासन पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. ब्रिटिश सेना की ओर से रविवार को जारी बयान के मुताबिक काबुल एयरपोर्ट पर भगदड़ में 7 और अफगान नागरिकों की मौत हुई है. तालिबानी एयरपोर्ट के पास हवा में गोलियां चला रहे हैं कि देश छोड़कर जाने वालों का अंजाम अच्छा नहीं होगा.