दुनिया के सबसे बड़े शाही परिवारों में से एक ब्रिटिश रॉयल फैमिली के लिए दुखद वक्त आया है. क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय के पति और ड्यूक ऑफ एडिनबरा प्रिंस फिलिप का निधन हो गया है. भारतीय समयानुसार शुक्रवार शाम को शाही परिवार ने प्रिंस फिलिप के निधन का ऐलान किया. ब्रिटेन इस वक्त गमगीन है और शोक में है.तमाम मुश्किलों,बच्चोंकोमाउंटबेटनसरनेमदेनाचाहतेथेप्रिंसफिलिपलेकिनक्वीनकेआगेनाचलसकी विचारों के भेदभाव के बीच प्रिंस फिलिप और महारानी एलिज़ाबेथ की जोड़ी ने सात दशक तक शाही परिवार को आगे बढ़ाया. प्रिंस फिलिप और क्वीन एलिज़ाबेथ की शादी तब हुई थी, जब हिंदुस्तान आज़ादी की तैयारियां कर रहा था. 1946 में प्रिंस फिलिप ने अपने प्यार का इज़हार किया और जुलाई 1947 में दोनों की शादी हो गई.प्रिंस फिलिप और एलिज़ाबेथ की जब शादी हुई, तब किंग जॉर्ज ज़िंदा थे ऐसे में एलिज़ाबेथ पर कोई दबाव नहीं था. इसलिए शुरुआती वक्त में शाही जीवन से उनका ज्यादा लेना-देना नहीं रहता था. प्रिंस फिलिप बकिंघम पैलेस की अति-नियमावली से खफा रहते थे. लेकिन पांच साल बाद सबकुछ बदल गया.साल 1952 में जब किंग जॉर्ज का निधन हुआ था, उनकी सबसे बड़ी बेटी होने के नाते एलिज़ाबेथ को महारानी का पद संभालना पड़ा. बस, उसी के बाद सबकुछ बदल गया. ब्रिटेन समेत पूरी दुनिया की नज़रें 25 साल की क्वीन एलिज़ाबेथ पर थी, जिसके सामने सबसे बड़े शाही परिवार को आगे बढ़ाने, संभालने, कॉमनवेल्थ देशों को साथ चलने की चुनौती तो थी ही, साथ में अपनी शादी को भी संभालना था.प्रिंस फिलिप का बचपन आसानी भरा नहीं था, यूं तो वो भी ग्रीस के शाही परिवार के हिस्सा थे. लेकिन तख्तापलट के बाद उनके पिता को सत्ता से बेदखल कर दिया गया और परिवार बिखर गया. उनकी मां बीमार थी, तो वो उनसे अलग ही बोर्डिंग स्कूलों में पढ़ते थे, जहां उनके जीवन में अनुशासन आया.लेकिन जब ब्रिटिश परिवार की एलिज़ाबेथ से शादी की बात आई तो उसके लिए शाही परिवार का सदस्य बनना ज़रूरी था. ऐसे में शादी से पहले फिलिप को ब्रिटेन की नागरिकता लेनी पड़ी और अपनी मां की ‘माउंटबेटन फैमिली’ का नाम अपनाना पड़ा. भारत में ब्रिटिश शासन के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन प्रिंस फिलिप के रिश्तेदार थे.जब प्रिंस फिलिप और महारानी एलिज़ाबेथ के पहले बेटे प्रिंस चार्ल्स का जन्म हुआ. तब प्रिंस फिलिप अपने बेटे को अपने वंश का नाम देना चाहते थे, यानी माउंटबेटन सरनेम देना चाहते थे. लेकिन तमाम कोशिशों के बाद ऐसा हो ना सके. क्वीन एलिज़ाबेथ ने साल 1952 में आदेश जारी किया कि उनके बच्चों को ‘विंडसर’ सरनेम से ही जाना जाएगा.इस वाक्ये के बाद प्रिंस फिलिप ने एक इंटरव्यू में कहा था कि पूरे ब्रिटेन में इकलौते ऐसे पिता हैं, जो अपने बच्चों को अपना नाम नहीं दे सकता है. हालांकि, अब जाकर इस नियम में कुछ बदलाव हुआ है. प्रिंस हैरी और मेगन मर्केल के बेटे का नाम आर्ची माउंटबेटन-विंडसर रखा गया.